नाम : ठाकुर प्रसाद कश्यप
पद : पूर्व ग्राम प्रधान ( सीपीआई नेता ) सिकंदरा विधानसभा, कानपुर देहात
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परिचय
ठाकुर प्रसाद कश्यप एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इनका जन्म 1947 में कानपुर के सिकंदरा महासभा के रोहिणी गाँव में एक मजदूर परिवार में हुआ, उनको शिक्षा ग्रहण करने के लिए काफी अभावों व संघर्षों का सामना करना पड़ा गाँव से प्राइमरी स्कूल काफी दूर था व वहाँ बड़े होने पर जाया जाता था घर में पढ़ाई के साथ साथ वह माता-पिता का किसानी व मजदूरी में हाथ बंटवाते थे।
उनके इलाके में कोई महाविद्यालय नहीं था जिसके चलते उनको अपनी नौवी से इंटर तक की शिक्षा इटावा के अजीतमल इंटर कॉलेज से की।सन् 1967 में वह सीपीआई से जुड़े और लगातार पार्टी की नीतियों के साथ कार्य करते रहें। वह 1967 में उन्होंने रोहिणी में अपनी पहली मीटिंग की, इसके बाद उनकी लगन को देखते हुए सन् 1985 में चौधरी नरेन्द्र सिंह कृषि मंत्री के प्रतिनिधि में कार्यभार संभालने का मौका मिला।
सामाजिक कार्य
जिसमें उन्होंने अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजना का भी कार्य किया। वहीं दूसरे बच्चों को भी पढ़ाई का महत्व समझाते थे। वह दूसरे बच्चों को पढ़ने के लिए जागरुक करते थे. वह बच्चों को बताते थे कि आप अगर पढ़ोगे नहीं तो आपके साथ हो रहे हैं शोषण को भी समझ नहीं पाओगे, आप अपनी लड़ाई नहीं लड़ पाओगे।
बारहवीं की पढ़ाई पूर्ण होने के बाद नौकरी तलाशने की जगह उन्होंने सोचा की क्यों न गरीबों की सेवा करें, सामंतवादी लोगों के खिलाफ खड़े होकर गरीबों की मदद करें, इसके बाद उन्होंने मानपुर में एक प्राइमरी स्कूल खोला व आठवीं के बच्चों को पढ़ाया उसके बाद उन्होंने वह स्कूल जिला परिषद को सौंप दिया।
इतना ही नहीं जिस समय वह ग्राम प्रधान
थे उस वक़्त उन्होने 70 बीघा जमीन हर तबके के गरीब को दी, गाँव से
हाइवे तक सड़क बनाई व बनवाई, इसके बाद विकास
कार्य के लिए ग्राम उत्थान युवक समिति बनाई ।
ठाकुर प्रसाद जी का मानना हैं की - किसी की मेहनत बेकार नहीं जाती व
समाजसेवा सबसे बड़ी सेवा हैं व इस समाजसेवा में उनकी पत्नी का भी बहुत सहयोग है।
उनके मुताबिक उस क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा है बेरोजगारी व पानी है, अगर यहाँ उद्योग
लगाए जाये तो जो गरीब बाहर जाकर जीवन यापन कर रहें हैं वह यहीं काम कर लेंगे। इस
क्षेत्र में महिला डिग्री कॉलेज होना जरूरी हैं। ठाकुर प्रसाद जी एक ऐसा उदाहरण
हैं जिनके पास खास सुविधा न होने के बावजूद वह समाज का हित करते रहे हैं।